Monday, February 15, 2016

कहाँ है

खा गये हैं सब बेच कर  ज़मीर को।
बिकता नहीं कहीं जो वोह ईमान कहाँ है।

मंदिर मस्जिद हर जगह दीखते हैं मुझे।
कोई वोह जगह बताये मिलता भगभान जहाँ है।

रास नहीं आई मुझे मतलब की ये दुनिया।
कोई तोह बतायेे कि ये शमशान कहाँ है।

लूट लेते हैं सब कुर्सी पे बैठ कर।
जो देश की खातिर मिट जाए वोह अरमान कहाँ हैं।

बहुत मिलते हैं लोग मुझे चलते फिरते यहाँ।
बस कोई इतना बता दे मिलते ईनसान कहाँ हैं।

नफ़रतें ही देखी यहाँ हर दिल में मैंने।
जहाँ सब मिलजुल कर रहते थे वोह हिन्दुस्तान कहाँ है।

Friday, February 12, 2016

जरूरत है तुम्हारी।

यादों के सहारे वक़त गुज़र सकता है।
ज़िन्दगी गुज़ारने के लिये मुझे जरूरत है तुम्हारी।

कुछ दूर तोह मैं तनहा भी चल सकता हूँ।
ज़िन्दगी भर चलने के लिए मुझे जरूरत है तुम्हारी।

अजनबियों के साथ बात तोह करता हूँ मैं।
पर हाल-ऐ-दिल सुनाने के लिए मुझे जरूरत है तुम्हारी।

ख़ुशी में तोह सारी दुनिया साथ होती है।
लेकिन गम बांटने के लिए मुझे जरूरत है तुम्हारी।

तनहाइयों में अक्सर मैं गुनगुना लेता हूँ।
मगर प्यार के गीत गाने के लिए मुझे जरूरत है तुम्हारी।

© चन्द्र शेखर मनकोटिया

Monday, February 8, 2016

दिल की बात

जब से देखा है मैंने तुझको यारा।
तब से बहका सा हूँ दिलदारा।
गुम सुम गुम सुम सा रहता हूँ।
हाल-ऐ-दिल सबसे कहता हूँ।
तेरी यादों में खोया खोया।
कई कई रातें मैं ना सोया।
तू क्यों लगता है सबसे प्यारा।
दिल ये बहका सा है दिलदारा।
जबसे देखा है तुझको यारा।

तेरा क्या है मुझसे नाता।
तू ही क्यों है दिल को भाता।
अपना हाल तुझे मैं बताऊँ।
तुझ संग प्यार के गीत गुनगुनाऊं।
साथ मिल जाए मुझे तुम्हारा।
जबसे देखा है तुझको यारा।
दिल ये बेहका है दिलदारा।

रातों की नींद उड़ाई है तुमने।
दिन का चैन चुराया है तुमने।
पहले तोह मेरा हाल ऐसा ना था।
अभी कुछ दिनों से जादू चलाया है तुमने।
अब तेरे बिन मुश्किल है मेरा गुज़ारा।
दिल ये बेहका सा है दिलदारा।
जबसे देखा है तुझको यारा।

अब हर जगह दिखती तू ही तू है।
हवा में भी जैसे तेरी खुशबू है।
तेरे बिना मुश्किल है अब जीना मेरा।
तूने चलाया कैसा जादू है।
दे दे मुझको थोडा सहारा।
दिल ये बेहका सा है दिलदारा।

जबसे देखा है तुमको यारा।
दिल ये बेहका है दिलदारा।

चन्द्र शेखर मनकोटिया