Monday, July 11, 2016

मेरा रब है मुझसे रूठा सा।।

क्यों है ज़िन्दगी में ये सूखा सा।।
मेरा रब है मुझसे रूठा सा।।

रात को जब मैं सोया था,,
सुंदर खावों में खोया था।।
उस वक़्त जो मुझे उठा दिया,,
तोह फिर एक सपना टूटा था।।
मेरा रब है मुझसे रूठा सा।।

इक हवा का झोंक जो आया था,,
तेरी याद भी साथ में लाया था।।
तुझको जो मैंने देखा था,,
मेरा दिल ही मुझसे छूटा था।।
मेरा रब है मुझसे रूठा सा।।

दोस्तों के संग मैं रहता था,,
गम भी ख़ुशी से सेहता था।।
जिस वक़्त मुझे यूँ तन्हा किया।।
तब खुशियों को मेरी लूटा था।।
मेरा रब है मुझसे रूठा सा।।

ज़िन्दगी का साथ निभाता रहा,,
नए रिश्ते बनाता रहा।।
दुखों में जब मुझे छोड़ दिया।।
उस वक़्त ये एहसास हुआ,,
के रिश्ता ही वोह झूठा था।।
मेरा रब है मुझसे रूठा सा।।

क्यों है ज़िन्दगी में ये सूखा सा।।
मेरा रब है मुझसे रूठा सा।।