Sunday, July 29, 2018

पूछिये।।

कभी टूटती नहीं हैं सोच और ख्यालों की बंदिशें।।
और बांध के रख नहीं सकते चाहे जंजीरों से पूछिए।।

घर से निकल आये हो तोह कट ही जायेगा सफर।।
लेकिन कितनी मुश्किल थी डगर राहगीरों से पूछिए।।

यूं ही बेवजह के हैं दुनिया में भेदभाव,,
लहू सबका एक सा है चाहे शमशीरों से पूछिए।।

पाने की हो चाह तोह कुछ भी नहीं है मुश्किल।।
कैसे पा लेता है कोई खुदा ये फकीरों से पूछिए।।

मेहनतें तोह अक्सर रंग ला ही जाती हैं।।
कितनों ने पाया है मुक़दरों से बढ़ के ये तकदीरों से पूछिए।।

तेरी दुनिया में या रब सब बनते हैं फरिश्ते।।
कौन कितना है गुनहगार मुखबिरों से पूछिए।।

सब बदलता है वक़्त के बदलने से।।
तुम बदले हो कितना ये पुरानी तस्वीरों से पूछिए।।

मरने पर तोह मिलेगी बस दो गज ही जमीन।।
साथ लेकर कौन गया है चाहे जागीरों से पूछिए।।